मेरी धड़कनों को

मेरी धड़कनों को बढ़ाया मुझे दीवाना कर दिया है
तेरी मोहबतों में मैंने खुद को नज़राना कर दिया है

मुझको कोई बताए मेरा पता ही मुझसे छूटा
ये कैसा इश्क़ मुझको मुझसे बेगाना कर दिया है
मेरी धड़कनों ......

बेखुदी मुझे ऐसी दी है तेरे इश्क़ ने ओ साहिब
भर भर के जाम दिए हैँ वो मयखाना कर दिया है
मेरी धड़कनों......

क्या लिखुँ लफ़्ज़ों में साहिब तुम कैसे हो इश्क़ करते
हमने जज्बातों को अपने अफ़साना कर दिया है
मेरी धड़कनों ........

इश्क़ तो तुम ही करते मैंने गुस्ताखियाँ ही की हैँ
मुझको है यूँ चुराया मुझसे ,अब अनजाना कर दिया है
मेरी धड़कनों को बढ़ाया मुझे दीवाना कर दिया है
तेरी मोहबतों में मैंने खुद को नज़राना कर दिया है

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