उनका इश्क़

वो कुछ ऐसे इश्क़ करते हैं हमसे
कि लफ़्ज़ों में क्या कहें हम

खामोश ही हो जाएँ अब ऐसे
कि दिल से दिल की कहें हम

चलो आज यूँ सिमट जाएँ ऐसे
कि कभी जुदा न रहें हम

तुम समा जाओ इन धड़कनों में
और तुझमें ही बस बहें हम

ऐसा जूनून है तेरे इश्क़ का
अब होश में ना रहें हम

तू ही तू रहे बस मेरी मैं रहे ना बाकी
चलो महबूब मेरे कुछ ऐसे जिएँ हम

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