लफ़्ज़ों पर मत जाइये
लफ़्ज़ों पर मत जाइये हम यूँ ही फ़रमाते हैँ
दिल में इश्क़ नहीं ज़रा हम यूँ ही अश्क़ बहाते हैँ
करते हो तुम आज़माइश अपने ही इश्क़ की
हम शमा जैसे रोज़ खुद को ही जलाते हैँ
लफ़्ज़ों पर मत जाइये .....
काश कभी हम भी कर पाते तुमसे थोडा इश्क़ कभी
दिल में थोडा दर्द नहीं हम लफ़्ज़ों में ही बहाते हैँ
लफ़्ज़ों पर मत जाइये.......
अच्छा है दूर हो तुम दिल के हर एक कोने से
दिल जले से हम बैठे हैँ जो आये तप जाते हैँ
लफ़्ज़ों पर मत जाइये.......
रूह मेरीे को दिलबर मेरे थोडा और सिसकने दो
सुना है इश्क़ करने वाले आहों में कह जाते हैं
लफ़्ज़ों पर मत जाइये......
हमें खुद भी खबर नहीं है क्या क्या हैँ तूफ़ान उठे
दिल की कलम है चलती है तो जाने क्या कह जाते हैँ
लफ़्ज़ों पर मत जाइये हम यूँ ही फ़रमाते हैँ
दिल में इश्क़ नहीं ज़रा हम यूँ ही अश्क़ बहाते हैँ
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