मैं निर्धन युगल बिन

मैं निर्धन युगल बिन निशदिन युगलवर मेरो पीर हरो ।
नाँहि छोड़ो मोहे अनाथ युगलवर मोहे सनाथ करो ।।

मेरो प्राणधन युगल किशोर बिन युगल देह प्राण तजे ।
मुख सों जो न निकले युगलनाम काहे रसना ना नाम भजे ।।

कुपात्र हूँ मलिन हूँ युगल मैं हूँ अधमन को सिरमौर ।
वृन्दावन को वास दीजौ तिहारो चरण मेरो ठौर ।।

अबहुँ विलम्ब न कीजौ प्राणधन मेरो शीश पग धरो ।
व्यर्थ होय रह्यो क्षण क्षण युगलवर मोहे सनाथ करो ।।

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