मिलता है सुकून मुझे
मिलता है सुकून मुझे आपकी पनाहों में
मन्ज़िल है मेरी दिलबर आपकी ही बाँहों में
उठती है नज़र जिधर भी साहिब दीदार तेरा
मेरा इश्क़ ये नहीं है ये तो इश्क है तेरा
तुम ही तुम बस रहे हो साहिब इन निगाहों में
मिलता है सुकून मुझे.......
तुम जो मुझे मिले हो ये भी तेरी इनायत
सीखा न इश्क़ मैंने न कभी आई मुझे इबादत
जो तुमको खींच लाये वो असर नहीं इन आहों में
मिलता है सुकून मुझे .......
तेरा इश्क़ ही साहिब अब ज़िन्दगी है मेरी
तुझसे ही इश्क़ करना अब बन्दगी है मेरी
खुद को बिछा दूँ हँसके साहिब मैं तेरी राहों में
मिलता है सुकून मुझे आपकी पनाहों में
मन्ज़िल है मेरी दिलबर आपकी ही बाँहों में
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