सखी री पिया बिन

सखी री पिया बिन अबहुँ रह्यो न जाये
कौन सों कहूँ पीर हिय की कौन सों रहूँ छिपाये

सखी इक इक स्वास् जो पिया बिन आवे
प्राण ना निकले अबहुँ मेरो हिय अकुलावे
बाँवरी तेरी प्रियतम प्यारे निशदिन नैन बहाये
सखी री पिया बिन........

हाय पिया अपने संग ले गयो मेरो निंदिया
भावे नाँहि चूड़ी मोहे भावे नाँहि बिंदिया
हाय कौन बिरहन की हिय पीर जनाये
सखी री पिया बिन........

सखी जबसों प्रियतम सों नेह लगाई
इत उत् डोलूँ हाय कबहुँ चैन न पाई
कबहुँ प्रियतम आके मोहे हिय सों लगाये
सखी री पिया बिन........

बिरह अग्न को होय ताप अति भारी
प्रियतम तुम बिन तेरी बाँवरी दुखियारी
नित निरखे राह कबहुँ प्रियतम आये
सखी री पिया बिन अबहुँ रह्यो ना जाये
कौन सों कहूँ पीर हिय की कौन सों रहूँ छिपाये

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