मैं अधम पातकी मतिहीना
मैं अधम पातकी मतिहीना राखो मेरी स्वामिनी !
दोऊ करि जोरि विनय करूँ शरण लीजो भामिनी !!
तुम तजिहों को कित् ठौर मेरो अबहुँ तोहे पुकारूँ !
सेवा दीजौ स्वामिनी अपनी नित् तेरो बाट निहारूँ !!
कैसो करूँ तेरी वन्दना ना तप ना विधि जानूँ !
चरण पड़ी हूँ तेरी लाडली तोहे अपनी मानूँ !!
अपने चरणन की रति दीजौ नहीं कछु मेरी आशा !
हूँ अधमन सिरमौर पातकी तुम पूर्ण कीजौ अभिलाषा !!
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