पूर्ण चन्द्र रात्रि

पूर्णचन्द्र रात्रि रह्यो कालिंदी के तीर
युगल निरख रहे दोऊ भये ऐसो प्रेम अधीर

प्रीत तरंग लेत हिलोरे युगल होय रहे विभोर
रंग रँगीले बिहरत दोऊ रसकिनी संग चितचोर

देय रह्यो गलबहियाँ अद्भुत कियो सृंगार
सखियन पुष्प सेज सजाई युगल करें नित्य विहार

प्रेम पिपासा युगल को बढ़त रहे दिन रैन
नित्य नवल रंग पगिहें नित्य नवल रस दैन

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून