दासी तिहारी

काहे बिसराये श्यामा तुम अधमन को ।
तुम बिन चैन नहीं होय मन को ।।

दासी रखिहौ श्यामा विलम्ब ना कीजौ ।
श्यामा मोहे निज शरण माँहि लीजो ।।

मुख ना फेरिहो मेरी प्राणधन श्यामा ।
मोहे बस युगल चरण बिसरामा ।।

मेरो धन तुम्हीं मेरे युगल किशोर ।
सुनिहौ दासी तिहारी करे निहौर ।।

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