मेरी विनती सुनते

मेरी विनती सुनते युगलवर वृन्दावन का वास देना
इस अधम पतित को भी कभी मिलने की आस देना

नित नित तुम्हें पुकारूँ बैठी बाट ही निहारूँ
कब आएं श्यामाश्याम मेरे कब आरती उतारूँ
श्यामाश्याम मैं पुकारूँ उतने ही स्वास् देना
मेरी विनती सुनते युगलवर वृन्दावन का वास देना
इस अधम पतित को भी कभी मिलने की आस देना

मन मेरा ना टूट जाए नही आस छूट जाए
हूँ अधम पतित चाहे हाय युगल ना रूठ जाएँ
मिले प्रेम युगल चरण का ऐसा विश्वास देना
मेरी विनती सुनते युगलवर वृन्दावन का वास देना
इस अधम पतित को भी कभी मिलने की आस देना

मेरा कौन है सहारा बस तुमको है पुकारा
लग्न आपकी में बीते जीवन मेरा ये सारा
अंत में मुझे ले जाना नहीं गर्भ वास देना
मेरी विनती सुनते युगलवर वृन्दावन का वास देना
इस अधम पतित को भी कभी मिलने की आस देना

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