कभी कभी सोचती हूँ
कभी कभी सोचती हूँ
क्या मुझमें मेरा कुछ है
तुमको सब तो नहीं दिया मैंने
देखो मुझे बहुत कुछ नहीं देना तुमको
छिपा लेना है तुमसे
मेरी गुस्ताखियाँ
मेरी उदासियाँ
मेरे गम
मेरे दर्द
नहीं नहीं और कहना भी नहीं
तुम चुरा लोगे सब
नहीं चुराने दूंगी तुमको
कुछ भी नहीं
देखो ये सब तुम्हारे लिए नहीं है
मत चुराना तुम
मुझे तुमको बुलाना भी नहीं है
नहीं नहीं
कभी भी नहीं
मत आओ तुम
मत आओ
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