बिरह अग्न माहीं देह तपाऊं

बिरह अग्न माँहि देह तपाऊँ तुम काहे दियो बिसारी !
अबहुँ चरणन मोहे राखियो दासी करे मनुहार तिहारी !!

श्यामा श्यामा रटे मन मेरो श्याम तुम्हीं मेरो प्राण !
रख लीजो अबहुँ मोहे स्वामिनी लीजो सुधि मेरो आन !!

रैन दिवस नैन बहे मेरो श्यामा पीर जरी नाँहि जावे !
तड़पूं ऐसो मीन जलहीना जल सों ज्यूँ बिछुर जावे !!

तुम्हीं प्राणधन मेरो श्यामा आवो किशोरी ना कीजो देरी !
शरण पड़ी है दासी तिहारी कीजो अबहुँ मोहे चरणन चेरी !!

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