कोऊ सेवा
श्यामाश्याम नित मुदित विराजें मैं जाऊँ बलिहारी जी ।
सेवा करूँ मैं चरण पखारूँ मोहे सेवा दीजौ प्यारी जी ।।
कुसुम शैय्या होय मधुर सुवासित मधुर रस बरसाओ जी।
मेरो मन अभिलाष यही मेरे युगल सदा सुख पाओ जी ।।
राखिहो मोहे सेवा प्यारी नित नित तेरो महल बुहारूँ जी ।
नित नव पुष्प मधुबन सों चुन कर श्यामा तेरो कुञ्ज सवारुं जी ।।
चरणन की मोहे सेवा दीजौ श्यामा न देखिहौ अधमाई जी।
कोऊ सेवा दीजौ श्यामा अबहुँ तोसे आस लगाई जी ।।
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