बेकरार रूह को
बेकरार रूह को ग़र दीदार ए दिलबर न हो
मर ही जायेंगें मोहना हर और तुझे देखने वाली नज़र न हो
कभी फ़ूल कभी ख़ुशबू कभी बहार ए चमन तुम
ज़िन्दगी भी मौत है मोहन ग़र तू दिलबर न हो
आहें भी तूफ़ान ला सकती हैँ दिल में तेरे
ग़र इश्क़ हो सच्चा तो मुश्किल आहों में असर न हो
तेरे ही मयकदे से नशेमन सी हुई ये ज़िन्दगी
हमको मयखाने बिना मोहन तेरे ग़ुज़र न हो
Comments
Post a Comment