चल मेरे मन अबहुँ

चल मेरो मन अबहुँ हरि चरणन सों लाग !
छोड़ दे विषय पदार्थ जग के विषय लालसा त्याग !!

कबहुँ सुमिरन सेवा भजन होय कबहुँ जीवन बदले !
कबहुँ जागे मन तेरे में हरि चरणन अनुराग !!

मानव जन्म मिला तोहे अबहुँ भज ले हरि सों मनवा !
फेर चौरासी कटेगी तेरो मिल्यो तोहे सौभाग् !!

हरि हरि जप ले पावन करले मन अंतर और रसना !
हरि नाम ही काटे भव बन्धन उपजै मन में वैराग !!

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