मैं प्यारी सखी

मैं प्यारी सखी प्रियतम अपने की प्रियतम मेरो सिंगार ।
मिलत रहें नित्य हमहुँ ऐसो नित्य रह्यो रास विहार ।।

नित्य नित्य नवल रंग प्रीति को नित नयो हिय की चाह ।
प्रेम रसिक होय प्रियतम मेरो प्रेम सागर बने अथाह ।।

रंग रस बरसत नवल किशोर संग प्रियतम मेरो चितचोर।
प्रियतम माँहि रमुँ प्रति क्षण मैं साँझ होवै या भोर ।।

प्रियतम होये प्राणधन मेरो नटवर मोहन मदन मुरारी।
प्रियतम की मधुर छवि पर पुनः पुनः जाऊँ बलिहारी।।

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