दिल तेरे दर्द में
दिल तेरे दर्द में जब ज़ार ज़ार रोता है
हरेक शै में तेरा ही दीदार होता है
क्यों खो जाते हो घड़ी दो घड़ी मिलकर
जुदाई में ना पूछो क्या हाल होता है
दिल तेरे दर्द में..........
दिल तो करता है खुद को तबाह कर डालूँ
कब मेरा दिल पर इख्तयार होता है
दिल तेरे दर्द में .......
बहते हैँ पल पल आँखों से अश्क़ ही मेरे
गम से भीगा हुआ क्यों दिल बार बार होता है
दिल तेरे दर्द में .......
कभी देखें तुझे आँखें मेरी आसमानों में
कभी जमीन पर दिलबर ए यार होता है
दिल तेरे दर्द में......
तेरे मिलने से महक जाती है दुनिया मेरी
जुदाई में खंजर कभी दिल के पार होता है
दिल तेरे दर्द में ........
कभी लगता है तू ही हँसता है सभी मुस्कानों में
कभी अश्क़ों से भी तेरा इज़हार होता है
दिल तेरे दर्द में जब ज़ार ज़ार रोता है
हरेक शै में तेरा ही दीदार होता है
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