जाने क्यों दिल को
जाने क्यों दिल को तेरी तलब उठती है
जाने क्यों दिल बेकरार होता है
पल भर नहीं निकलती तेरी याद दिल से
जाने क्यों दिल तेरी जुदाई में रोता है
जानती हूँ इश्क़ मेरा झूठा सा है
ना तड़प तेरे दिल तक पहुंची है अभी
जाने क्यों तुम ही बन गए हो मन्ज़िल मेरी
जाने क्यों दिल तुम्हें पाता और खोता है
कभी हो पास इतने रूह तुम्हें छूती है
कभी तेरे बिछड़ने का एहसास मुझे होता है
काश मुझे होती कभी सच्ची मोहबत तुमसे
जाने क्यों दिल में कुछ कुछ होता है
जाने क्यों तुम मेरी हसरतों की हसरत हो
जाने क्यों सब हसरतें तुम पर सिमट गयी हैँ
सच तो ये है तेरे बिना ज़िन्दगी कोई जिंदगी नहीं
जाने क्यों ये जिस्म बेजान सा ही जीता है
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