दूर हैं तेरी महफ़िल से
दूर हैं तेरी महफ़िल से पर तेरी याद लिए बैठे हैं
जग से बर्बाद हैं तेरी याद को आबाद किये बैठे हैँ
कभी तुम चाहो तो तेरी महफ़िल में आना होगा
तब तलक यादों की सौगात लिए बैठे हैँ
दूर हैँ तेरी महफ़िल से......
ये भी तो इश्क़ है तेरा की रूह को तेरी तलब है
दुनिया से अपने रिश्ते को बर्बाद किये बैठे हैँ
दूर हैँ तेरी महफ़िल से........
तेरे सिवा कौन मेरा और बता किसे याद करूँ
हम तेरे इश्क़ के ही जज़्बात लिए बैठे हैँ
दूर हैँ तेरी महफ़िल से .......
कभी तो मिलने का कोई वादा करो साहिब हमसे
हम कबसे दीदार की फरियाद लिए बैठे हैँ
दूर हैँ तेरी महफ़िल से........
यूँ हसरतें जगा कर मेरे दिल को भुलावे न दो
इस दिल में तेरे इश्क़ की आग लिए बैठे हैँ
दूर हैँ तेरी महफ़िल से ......
और नशा क्या होगा दुनिया की मय से हमें
रूह से तेरे इश्क़ के जाम पिए बैठे हैँ
दूर हैँ तेरी महफ़िल से .......
तूने जो पिलाई है मय तेरे इश्क़ वाली
इस रूह को कबसे तेरे नाम किये बैठे हैँ
दूर हैँ तेरी महफ़िल से.......
तेरे इश्क़ की आग में तड़पने में भी मज़ा है
इस आग में भी साहिब आराम लिए बैठे हैँ
दूर हैँ तेरी महफ़िल से ..........
नहीं देखना कितने अश्क़ बहाए हैं तेरी याद में
आँख तो क्या हम रूह को गुलाम किये बैठे हैँ
दूर हैँ तेरी महफ़िल से ......,..
जाग जाग रातों को तेरा नाम पुकारते हैं
इश्क़ में नींदें भी खत्म हम तमाम किये बैठे हैँ
दूर हैँ तेरी महफ़िल से .......
तेरे दीवानों के साथ बैठ तेरे लिए रो लेते हैँ
अपनी सब महफिलें तेरे नाम किये बैठे हैं
दूर हैँ तेरी महफ़िल से .....,.,
कभी हँसते हैँ कभी रोते हैँ अजब पागल से हम हैं
तू गुल है और खुद को तेरा गुलफाम किये बैठे हैँ
दूर हैँ तेरी महफ़िल से .......
तड़प उठती है तो तेरा नाम पुकारते हैं हम
तेरे इश्क़ में बेहाली के इनाम लिए बैठे हैँ
दूर हैँ तेरी महफ़िल से ..........
इश्क़ की चोट खाकर किस तरह ज़िन्दा रहते हैँ सब
एक बार आकर अपने बीमारों के हाल देख ले
दूर हैँ तेरी महफ़िल से ..........
हर कोई यहां खुद को लुटाए बैठा है
गजब है फिर भी तेरे इश्क़ से अमीर हैँ हम
दूर हैँ तेरी महफ़िल से .........
दूर हैं तेरी महफ़िल से पर तेरी याद लिए बैठे हैं
जग से बर्बाद हैं तेरी याद को आबाद किये बैठे हैँ
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