हाय अभागिन युगल दरस बिन
हाय अभागिन युगल दरस बिन
नित नित रही अकुलाये
जीवन बीत गयो मेरो टेर लगावे
मेरो युगल नहीं आये
नहीं हिय माँहि प्रीत मेरो थोरी
काहे युगल बुलाई
जग में खोये रही बाँवरी बन
युगल सों मन ना लगाई
अबहुँ कैसे मिले प्रियाप्रियतम
हृदय मेरो प्रेम विहीना
मैं मूर्ख क्या रीत समझूँ प्रेम की
अल्प बुद्धि मति हीना
मेरे युगलवर दरसन दीजो मोहे
किस विधि तोहे पुकारूँ
प्रेम विहीन रुखा हिय होय मेरो
कैसो मैं नाम उचारूँ
हा हा श्यामा भोरी किशोरी
मेरी विनय सुनि लीजो
द्वार पड़ी इक प्रेम भिखारिन
अबहुँ अपनी दासी कीजो
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