घुंघरू 5

5

       इस घुंघरू का श्री चरणों से टूटना कोई पहली बार नहीं हुआ। जन्म जन्मांतरों से ये श्री चरणों से अलग ही है। तभी इसकी व्याकुलता बनी हुई है। जिस मूल से छूट गया है पुनः पुनः उसी का आकर्षण होता है। श्री चरणों से पृथक कहीं और इसे ठौर मिलेगी भी नहीं। नुपुर में ही तो घुंघरू के जाने से उसका स्थान रिक्त पड़ा है। नुपुर पुनः पुनः उस रिक्त स्थान की ओर देखती है पता नहीं नुपुर को भी उस तुच्छ से घुंघरू का अभाव खल रहा है। इतने बहुमूल्य मणि माणिक घुँघुरुओं के होने पर भी एक घुंघरू का रिक्त स्थान उसे पुनः पुनः व्याकुल कर रहा है। नुपुर स्वयम् तो श्री चरणों में समर्पित है ही साथ ही साथ वह अपने से जुड़े छोटे बड़े मणि माणिक घुंघुरू को भी श्री चरणों में समर्पित देखती है। नुपुर का घुंघरू के प्रति स्नेह ही है जो उस उन्मादी से घुंघरू को पुनः व्यवस्थित करती है। अभी नुपुर पुनः अपनी छनकार सुनती है सभी घुंघरू श्री जू की प्रसन्नता के लिए कृष्ण कृष्ण पुकारते हैँ।

    कान्हा जू श्री जू की पद सेवा को सदैव लालयित रहते हैं। जैसे ही वह श्री चरणों को छूते हैं आहा ! एक तरंग एक उन्माद सा भीतर बहने लगता है। प्रियतम का कर नुपुर को स्पर्श करता है वह नुपुर भी युगल प्रेम में उन्मादिनी होने लगती है। नुपुर में जुड़ा हर घुंघरू मोती माणिक उन्मादित हो रहा है। पहले ही श्री जू के चरण स्पर्श से ही नुपुर सम्भाले नहीं सम्भल रही थी अब तो प्रियतम कान्हा का स्पर्श पाकर तो इसका उन्माद शब्दों में कहाँ कहा जायेगा। प्रिया प्रियतम गलबहियां डाले कालिंदी के तट पर आ जाते हैँ। प्रेम रस में उन्मत चन्द्र चकोरी एक दूसरे को निहारते खोने लगते हैँ। उनके कानों में मधुर स्वर लहरियाँ गूंजने लगती हैँ युगल किशोर नृत्य करने लगते हैं। आहा ! प्रेम रस से भरे हुए युगल दम्पति संगीत की ताल पर नाचने लगते हैं। श्री जू के चरणों में पड़ी पायल की रुनझुन से संगीत और भी मधुर मधुर हुआ जा रहा है। इस रसमय संगीत में युगल ओर प्रेम रस से भरते जा रहे हैँ। आज प्रत्येक घुंघरू प्रियाप्रियतम के इस नृत्य में सम्मिलित हुआ है। युगल सुख हेतु ही तो इसका जीवन हो चुका है।

नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

कल कल करती कालिंदी के तट की
शोभा साजे सखी अति मनोहारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

नाचत मयूरा संग युगल वर
सखियाँ जाएँ इनपर बलिहारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

शोभा अतुलनीय बरण ना होवे
मुदित विराजें सखी पिय प्यारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

नित नित उमंग तरंग प्रेम को
झूम रहे संग ललित सुकुमारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

पायल की रुनझुन गूँजे चहुं और
अद्भुत छवि जावे ना बिसारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

     नुपुर के साथ प्रत्येक घुंघरू इस अद्भुत छवि में ही रम जाना चाहता है। युगल के हृदय में उठ रही हर प्रेम तरंग का अनुभव हो रहा है। प्रियाप्रियतम के इस नृत्य संगीत को और भी मधुर तथा रसमय करने हेतु कोकिल गाने लगती हैँ मयूर नाचने लगते हैँ। जैसे हर कोई प्रियाप्रियतम की इस छवि का चकोरा ही होना चाहता है। सच ही तो है कोकिल भी उन्हीं का नाम लेकर जीवन सार्थक करती है तथा मयूर को तो प्रियतम का विशेष स्नेह प्राप्त है। एक भी क्षण मयूर पंख धारण किये बिना नहीं रहते हैँ। चहुँ और युगल का प्रेम वर्षा हो रही है जिसमें युगल तो भीग ही चुके साथ की साथ कण कण प्रेम में उन्मादी हो रहा है।

  क्रमशः

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