मैं क्या जानू प्रीत रे गिरधर

मैं क्या जानू प्रीत रे गिरधर
मैं क्या जानू प्रीत
एक ही होय रह्यो मन मेरो
हारी तुम गए जीत रे गिरधर
मैं क्या जानू प्रीत

प्रीत किये पीर होय भारी
हाथ पकर मेरो ल्यो उबारी
तुम ही साँचो मीत रे गिरधर
मैं क्या जानू प्रीत

जगत लगे मोहना मोहे खारी
तुम बिन कौन मेरो गिरधारी
बहुत समय गयो बीत रे गिरधर
मैं क्या जानू प्रीत

वीणा की झंकार बनो तुम
साँवल मेरी पीर हरो तुम
मन गाये तेरे गीत रे गिरधर
मैं क्या जानू प्रीत

प्रीत किये बहुत दुःख होये
बिरहन बैठी नैन भिगोये
ये कैसी अटपट रीत
गिरधर मैं क्या जानू प्रीत
मैं क्या जानू प्रीत रे गिरधर
मैं क्या जानू प्रीत

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