सेवा दीजौ

कबहुँ मोहे सेवा में रखिहौ ऊँची अटारी वारी ।
भूल ना जहिहौ जहि बाँवरी होय दासी तिहारी ।।

कछु ना चाहिहौ तुम सों श्यामा कीजौ चरणन चेरी ।
हूँ अधमन सिरमौर मैं श्यामा जैसो भी हूँ तेरी ।।

स्वामिनी चरणन सेवा दीजौ नित नित चरण पखारूँ ।
श्यामा मोहे अपनी कीजौ तेरी राह निहारूँ ।।

हूँ कुपात्र चाहे कुँवरी किशोरी तुम हो कृपानिधान  ।
शरण में लिजीयो मेरी स्वामिनी मोहे दासी अपनी जान ।।

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