श्यामसुन्दर मोहे छोड़ न जहीहो
श्यामसुन्दर मोहे छोड़ ना जइहो
कौन सों हिय की पीरा कहिहो
नेह लगाय मोहना मैं तो हारी
तुम पर अपनों जीवन वारी
प्राणधन मेरो धन बन रहिहो
श्यामसुन्दर मोहे छोड़ ना जइहो
कौन सों हिय की पीरा कहिहो
स्वास् स्वास् पिया तोहे पुकारे
नैना पुनः पुनः बाट निहारें
अबहुँ विलम्ब ना मोहना करिहो
श्यामसुन्दर मोहे छोड़ ना जइहो
कौन सों हिय की पीरा कहिहो
मेरी गति मति तुम्हीं मुरारे
तुम बिन बिगरी कौन सँवारे
प्रियतम आन मोहे हिय सों लगीयहो
श्यामसुन्दर मोहे छोड़ ना जइहो
कौन सों हिय की पीरा कहिहो
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