न सेवा ना हरि सुमिरन
ना सेवा ना हरि सुमिरन
जीवन दियो गवाय
रे मनवा
हरि नाम ना गाये
मानव जीवन होय अनमोल
तूने नहीं लगाया मोल
मन भटके तेरा जगत सों
श्यामाश्याम ना ध्याये
रे मनवा
हरि नाम ना गाये
साँस साँस नाम जप रे मन
हरि नाम ही होय तेरो धन
बीत गयी उमरिया तेरी
जीवन व्यर्थ गवाये
रे मनवा
हरि नाम ना गाये
मन में तूने जगत बसाया
हरि चरणों से ना नेह लगाया
फेर पड़ेगा पुनः तू चौरासी
अबहुँ हरि ना ध्याये
रे मनवा
हरि नाम ना गाये
Comments
Post a Comment