देखी है मैंने साहिब

देखीं हैँ मैंने साहिब तेरे इश्क़ की निशानियाँ
नादान हूँ समझी नहीं साहिब तेरी मेहरबानियाँ

ये जो दिल में है इश्क़ तेरा ये भी तेरी इनायत
तुमने जिसे है चाहा उसने ही समझी चाहत

मैंने तुमको कब था चाहा कब तेरा नाम था पुकारा
ये भी तेरी इनायत मेरी ज़िन्दगी को सँवारा

तेरा नाम लूँ जुबां से नहीं मेरी औकात इतनी
बस तेरी ही बात हो नहीं मुझमेँ बात इतनी

मेरे आसपास महके तू खुशबू बन इस हवा में
इश्क़ तेरा ही घुल रहा है महकी सी इस फ़िज़ा में

देखी है आसमां में मैंने तस्वीर यार तेरी
तुम ही बन गए हो साहिब तकदीर मेरी

दिल की है यही तमन्ना तेरी चाहतों की हो चाहत
तेरे इश्क़ को जी पाऊँ बस रखना यही इनायत

हूँ गुस्ताख़ थोड़ी साहिब ना देखो तुम ऐब मेरे
दिल तेरा हो चुका है यही रहते अरमान मेरे

यूँ ही सारी उम्र गुज़रे तेरा इश्क़ बढ़ता जाए
तू बन जाए जूनून मेरा ये खुमारी चढ़ती जाए

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