मैं दिया बनूँ तेरी चौखट का

मैं दिया बनूँ तेरी चौखट पर
जलना ही मेरी फितरत हो

तुम आकर छू लो मुझे कभी
कभी ऐसी मुझपर इनायत हो

जानती हूँ तुम नहीं ठुकरओगे
तुमको हर चिराग से मोहबत है

जो रोशन है बस तुमसे ही है
तेरा इश्क़ ही उसकी रंगत है

हर चिराग में है इश्क़ तेरा ही
कायनात ही तेरी उल्फ़त है

आज दिल ने एक तमन्ना की
चिराग बनूँ तेरी चौखट का

उम्र भर यूँ ही मुझे जलने दो
नशा उतरे न कभी मोहबत का

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