प्रेम
प्रेम ही है युगल किशोर
प्रेम प्रेम ही चहुँ और
प्रेम सभी सारन को सार
प्रेम है सम्पूर्ण जगत आधार
प्रेम से उपजी है ये सृष्टि
प्रेम देता आँखों को दृष्टि
प्रेम है ईश्वर का रूप
प्रेम है हमारा मूल स्वरूप्
तीन लोक चौदह भुवन
प्रेम ते ही होये परिपूर्ण
प्रेम है राधा प्रेम है श्याम
प्रेम करे सबको निष्काम
प्रेम ने मनमोहन को बाँधा
राधा है मोहन मोहन है राधा
प्रेम है सीमा रहित भाव
प्रेम है सबके मन का चाव
शब्दों में नहीं समाए प्रेम
किये बिना समझ नहीं आये प्रेम
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