काहे सखी
काहे!
काहे पिया मोरी सुधि बिसराई
मोसो कहे अबहुँ आयो सखी
हाय कर दीनहों मोहे पराई
काहे !
काहे पिया........
दूर देस रह्यो मेरो साजन
बैठी रोए रही मैं अभागिन
हाय पिया लेत ना मेरो खबरिया
सखी मोहे दीन्हों बिसराई
काहे !
काहे पिया ..........
याद पिया की मोहे जलावे
अखियाँ छम छम नीर बहावें
चैन पड़े ना एक घड़ी को
सांवरिया ने दीन्हों भरमाई
काहे !
काहे सखी.........
कोई मेरो सन्देश ले जावो
जा कहियो मेरो हाल बतावो
बिरह पीर में जले तेरो बाँवरी
देख लो सुधि बुधि कैसो गवाई
काहे !
काहे सखी..........
Comments
Post a Comment