तेरी शबनमी

तेरी शबनमी सी ऑंखें मय से भरी हुईं
कुछ जाम हमने पी लिए कुछ देर लिए जी
तेरी शबनमी सी.........

है मयकदा ये तेरा मुझको बुला रहा है
तू जाम पे जाम भरकर मुझको पिला रहा है
तेरे नशे में अब मैं मदहोश हो गई
तेरी शबनमी सी........

मेरी नज़र से देखो क्या इश्क़ का असर है
अपना पता नहीं है ना अपनी कोई खबर है
अब तुम ही तुम मिल रहे देखूं जहां कहीँ
तेरी शबनमी सी..........

तेरी अदा पर मुझको क्यों ऐसा प्यार आया
अब तुझको याद रखा और खुद को है भुलाया
अब तू ही तू है मेरी मैं ना रही
तेरी शबनमी सी.........

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