बौराई सी
तुम्हारे प्रेम में खोई
हूँ मैं
बौराई सी
सुधि बुधि हीन
लिए पीर विरह की
हिय में शूल लिए
हूँ मैं मुरझाई सी
खोई सी
कुछ यादों में
जी रही तेरे
झूठे वादों में
हूँ मैं
घबराई सी
बैठी हूँ
जाने कब से
बाट निहारूँ
तुम गए जबसे
मन में यादों की
गहराई सी
तुम्हारे प्रेम में खोई
हूँ मैं
बौराई सी
Comments
Post a Comment