तुम कभी
अच्छा ये मत पूछना की हाल कैसा मेरा
अपने दिल का हाल तो बता दो कभी
हम तो यूँ ही लिख देते हैं कुछ भी
अपने दिल की बात तो सुना दो कभी
देखते हैं हम तुमको अपनी ही नज़र से
अपनी नज़र से भी दिखा दो तुम कभी
सुनने को बेताब हैँ तेरे दिल के अफ़साने
मिल कर वो भी सुना दो तुम कभी
बरसते हैं अश्क़ हमारी ही आँखों से
कभी इश्क़ की बारिशें बरसा दो तुम कभी
तुझसे दूर क्यों है खुद को सज़ा देते हैं
इश्क़ नहीं तो हमें सज़ा दो तुम कभी
रोज़ रोज़ दिल से तुमको आवाज़ लगाते हैं
आज सुननी है मुझे सुना दो तुम कभी
रोज़ पुकार लगाती हूँ आ प्यारे
मुझे अपनी चौखट पर बुला लो तुम कभी
यूँ ही न मिट जाएँ रोते हुए तेरी याद में
दिल में दर्द लिए हैं मिटा दो तुम कभी
कितने पर्दे रखते हो दरमियां अपने
काश ये पर्दे रुखसार से हटा दो तुम कभी
मर रहे हैं हम तेरे इश्क़ के दर्द से
थोडा सा सहला कर दवा दो तुम कभी
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