बैरी पिया

बैरी पिया से नेह लगा
काहे मन अपना हार गयी
काहे बेदर्दी सों प्रेम किया
काहे मन इस पर वार गयी

पीर ना जाने सखी मन की मेरे
बाट निहारूँ काहे शाम सवेरे
ले रहे पिया क्यों प्रेम परीक्षा
हाय रो रो मैं हार गयी
बैरी पिया से.......

रात दिन तेरी प्रीत जलाये
पिया बिना मोहे कछु ना भाये
आओ पिया जी सुधि लो मोरी
विनती कर कर हार गयी
बैरी पिया से........

तुम बिन और कौन पिया मेरा
तेरो चरणन ही मेरा बसेरा
कौन विधि रीझो तुम पिया जी
कौन विधि सों तुम्हें मनाऊं
बैरी पिया से................

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