किशोरी यही अभिलाष मेरी

किशोरी यही अभिलाषा मेरी
बनूं तेरो चरणन की चेरी
स्वामिनी यही........

तेरो चरणन नित नित दबाऊँ
श्यामा दासी तेरो मैं कहाऊँ
मोहे निज शरण लीजो स्वामिनी
अब करो नहीं  जी कोई देरी
स्वामिनी यही .....

तेरे महलन करूँ मैं बुहारी
मेरी इक बरसाने वारी
मेरी विनय मान लो राधे
कौन पकड़े बांह तुम बिन मेरी
स्वामिनी यही..........

रंग रंग के पुष्प चुन लाऊँ
तेरो कुञ्ज स्वामिनी सजाऊँ
श्री चरणन की रति पाऊँ
नहीं करो तुम देर बहुतेरी
स्वामिनी यही...........

तेरी निरखूं नित  नित अटारी
चरणन रख लीजो मोहे प्यारी
दया दृष्टि करो मेरी स्वामिनी
मेरी बिगरी दियो जी निबेरी
स्वामिनी यही.......

श्यामा करो नित अपनी दासी
कीजो जग जंजाल सों निकासी
मोहे अपनी कीजो श्यामा प्यारी
बड़ी भोरी है श्यामा मेरी
स्वामिनी यही...........

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून