कहाँ नींद आए

कहाँ नींद आए तेरे दीवानों को
हम तो आँखों में रात काट लेंगे
है इंतज़ार के दीदार हो अब तेरा
ज़िन्दगी इंतज़ार के साथ काट लेंगे

काश तू भी कबूल करे मोहबत
है शौक तेरा भी दिल को चुराना
हम भी फ़िदा हैँ अदाओं पे तेरी
ज़िन्दगी तेरी अदाओं के साथ काट लेंगे
कहाँ नींद आए .........

लूटा है चैन और सुकून मेरा
नहीं तो मेरी अमानत लौटा दो
क्यों रखोगे अमानत गर मोहबत नहीं
हम ज़िन्दगी इस सौगात के साथ काट लेंगे
कहाँ नींद आए.........

रखते हो शौक तुम भी मोहबत के
तो आओ मुझसे भी मोहबत निभालो
रख लो मुझे अब आगोश में अपने
हम यूँ ही ज़िन्दगी तेरे साथ काट लेंगे
कहाँ नींद आए...........

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