दर्द जुदाई का
हाँ कुछ दर्द है जुदाई का
यही राज़ मेरी तन्हाई का
छोड़ दिया जमाने भर ने मुझे
नहीं साथ कोई परछाईं का
यहां दर्द के बजते हैं बस सितार
कोई शोर नहीं शहनाई का
यूँ ही तड़पने दो दर्द में हमें
नहीं लेना नाम दवाई का
मत आना अगर मर्ज़ी हो ना तेरी
नहीं कारण बनूं रुस्वाई का
कभी परवाह मेरी मत करना तुम
मज़ा है बहुत बेपरवाही का
नहीं आते अब अश्क़ आँखों में अब
सख्त दिल में क्या काम नरमाई का
नहीं काबिल किसी भी मोहबत के
दिल हो चुका मेरा कसाई का
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