इश्क़ का रंग
लगा रहने दो रंग
ये रंग इश्क़ का है
अभी और चढेगा धीरे धीरे
ये नशा इश्क़ का है
अभी और बढ़ेगा धीरे धीरे
ये जलवा उनकी अदाओं का है
बिखरेंगी और धीरे धीरे
ये महक उनकी सांसों की है
बढ़ेगी अभी धीरे धीरे
ये मदहोशी उनकी आँखों की है
चढेगी अभी धीरे धीरे
ये बेख़ुदी भी उन्होंने ही दी
जियूँ इसे भी धीरे धीरे
ये मय भी उनकी पिलाई हुई ही
पियूँ इसे धीरे धीरे
अब कुछ भी मेरे बस में ना रहा
सम्भल लूँ अभी धीरे धीरे
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