बाँवरी कीन्हों

बाँवरी कीन्हो जग बिसरायो
श्याम पिया मेरो सुधि बिसरायो
कबते ना लीन्हीं मोरी खबरिया
कोण घड़ी पिया मोहे अपनायो

नैनन सों बरसे मोरे सावन
सखी पिया बिन हुई मैं अभागिन
नित नित बाट निहारूँ तोरी
कौन घड़ी मोहे अंग लगायो
बाँवरी कीन्हों.......

दूर देस बसे मेरो साजन
सुना गयो सखी मोरा सावन
कोण घड़ी देखूं मुख तेरो
कोण घड़ी पिया संग तेरो पायो
बाँवरी कीन्हों.......

पीर विरह की सही ना जाए
कौन घड़ी मेरो पिया घर आए
कोण घड़ी बनूँ संगिनी तेरो
कोण घड़ी पिया प्रेम तेरो पायो
बाँवरी कीन्हों......

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