तेरी मोहक छवि
तेरी मोहक छवि श्यामा निहारूँ कैसे
तुम्हें अखियों में अपनी उतारूँ कैसे
रख लो अब मुझे अपने चरणों में
मेरी किस्मत है बिगड़ी स्वारूँ कैसे
तेरी मोहक छवि.........
झील सी गहरी हैं श्यामा ऑंखें तेरी
जिनमें मोहन की सूरत मुझे दिख रही
तेरी नज़र मैं श्यामा उतारूँ कैसे
तेरी मोहक छवि........
है भोली सी सूरत आँखों में बस रही
प्यारी लगती है श्यामा मेरी हस रही
तेरे बिन ज़िन्दगी अब गुज़ारूँ कैसे
तेरी मोहक छवि ........
इक नज़र देख ले बात बन जाएगी
हाय बिगड़ी मेरी भी सुधर जायेगी
अपनी किस्मत की रेखा सुधारुं कैसे
तेरी मोहक छवि .........
Comments
Post a Comment