जाने क्यों

बरसाओ इश्क़ और बरसाओ साहिब
तन मन इस बारिश में भिगाओ साहिब

जाने क्यों हसरत रूकती नहीं है
जाने क्यों मोहबत थमती नहीं है

जाने क्यों बेताब हो रही है साँस
जाने क्यों आने की होती है आस

जाने क्यों सिमट रहे हम खुद ही
जाने क्यों हो रहे हम बेखुद ही

जाने क्यों मदहोशी सी छा रही है
जाने क्यों तेरी सदा आ रही है

जाने क्यों इंतज़ार तेरा इस रूह को
जाने क्यों चाहें की तू ही तू हो

आ खुल कर मुझे मोहबत सिखा दे
मेरी चाहत को यूँ इबादत बना दे

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