नाथ मैं तिहारो

मोहे ना बिसारो
नाथ मैं तिहारो !

प्रेम नहीं जानू
भक्ति ना जानू
तुमको नाथ मैं
अपना मानू
हाथ पकर  मत  छारो
मोहे ना बिसारो......

निर्धन हूँ नाथ
शरण में लीजो
इस दासी को
अपनी कीजो
शरण पड़ी मैं तिहारो
मोहे ना बिसारो......

जप नहीं जानू
तप नहीं कोई
तन मन से
दासी तेरो होई
बिगडी मेरी सवारो
मोहे ना बिसारो.........

पतित अधम हूँ
जैसो भी हूँ तेरी
अब सुन लीजो
नाथ विनती मेरी
तुम मेरो रख्वारो
मोहे ना बिसारो.........

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून