तुमसे ही सीखकर तुम्हीं से इश्क़
तुझसे ही सीखकर तुमहीं से इश्क़ करना है
तेरे साथ जीना मुझे और तुम पर मरना है
तुझसे ही ........
तेरी हर अदा ही अब कुछ सिखाए मुझे
देखती है मेरी नज़र जो तू दिखाए मुझे
लिख रही नगमे वही महबूब जो लिखाए मुझे
मुझमें मैं ना रहूँ तुम्हें इस कदर उतरना है
तुझसे ही .........
मेरी रग रग में कुछ ऐसे समाए जाते हो
मदहोश करते हो सब होश भुलाए जाते हो
कुछ इस कदर अब अपना बनाए जाते हो
डूबना है मुझे ये समन्दर पार नहीं करना है
तुझसे ही........
मेरी जीने की अब वजह हुए जाते हो
मुझको अज़ीज़ तुम बेपनाह हुए जाते हो
दर्द ए दिल की मेरे अब दुआ हुए जाते हो
मुझको अब इस दर्द ए इश्क़ में ही मरना है
तुझसे ही.......
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