दर्द नहीं सम्भलता
हाय अब मुझे ये दर्द सम्भलता नहीं
क्यों तेरा दिल अब भी पिघलता नहीं
तुमसे ही इश्क़ करना सीखा है मैंने
फिर क्यों दिल तेरा मचलता नहीं
इश्क़ में ऐसे क्यों जलाते हो तुम
नहीं आना फिर क्यों मुझे बुलाते हो तुम
मुझको लौटा दिए क्यों अपने दर से
और दिल से मेरे लौट जाते हो क्यों
एक बार देख ले बेकरारी मेरी
इस सुलगती सी रूह को करार मिले
अब तो हटा दे चिलमन मेरे साहिब
जाने कब मुझे तेरा दीदार मिले
देख ले एक बार तू हसकर
फिर मेरी मौत भी कबूल है
तेरे बिना मिले जन्नत भी यार
मेरे लिए वो भी फ़िज़ूल है
हाय अब तो मौत दे या दीदार दे
तड़प रहें हैँ हमें थोडा सा प्यार दे
बढ़ रहीं हैं रूह की बेकरारियां अब
तड़प रही रूह को कुछ तो करार दे
देख तेरा इश्क़ यूँ मज़बूर कर रहा मुझको
दर्द देकर अब क्यों तू दूर कर रहा मुझको
अब लौटना है मुझे तेरे ही कूचे में कुछ ऐसे
अब तेरा इश्क़ ही मंजूर कर रहा मुझको
तेरी बातों के बिना अब कोई बात नहीं
तेरे इश्क़ के सिवा कोई जज्बात नहीं
एक भी गयी हो तेरी यादों के बिना हमदम
मुद्दतों से ऐसी गुज़री कोई रात नहीं
जो भी हो हर हाल में जी लेंगे हम
ज़हर मिल जाए अगर वो भी पी लेंगे हम
हो चली दीवानगी तेरी अब इस कदर
तू कहे ले जन्नत तो भी नहीं लेंगे हम
हम इश्क़ के मारों की यही कहानी है
दिल में है दर्द तेरा और आँखों में पानी है
खैर जो भी हो जी लेंगें तेरे इंतज़ार में ही
तुझसे है सीखा अब मोहबत तो निभानी है
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