बेताब हो गए हैँ
बेताब हो गए हैँ सरकार अब बुला लो
कहीँ हम मर ना जाएँ अब तो गले लगा लो
बेताब हो गए......
हद से बढ़ रही है साहिब तेरी कशिश अब
पल भी सकूँ नहीं है बैठे हैं भूल कर सब
किसको दिखाएँ दर्द हम सरकार तुम सम्भालो
बेताब हो गए.......
जो दिल में हसरतें है कैसे इन्हें भुलाएँ
तुमसे दिल लगाने की मिल रही हैं सज़ाएं
छोड़ा है हर किसी को अपना हम बना लो
बेताब हो गए .........
बेकरारी इस दिल की अब तुम ही समझ जाओ
या तो आ जाओ तुम या फिर मुझे बुलाओ
भटक ना जाऊँ अब मैं मझधार से निकालो
बेताब हो गए.........
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