कत्ल मेरा
तेरी तस्वीर से दिल बहलता नही अब मेरा
कब मेरी नज़र में आने वाले हो बता दो
क्या मोहबत करना भी गुनाह है कोई
अगर गुनाह किया है तो मुझको सज़ा दो
ढूंढती हैं ये ऑंखें तेरी चौखट का पता
कोई तो मुझको पता यार का बता दो
मुझसे रूठ क्यों जाते हो क्यों ठहर नहीं जाते
अब मिलने के ख्वाबों को ना ऐसी हवा दो
तेरी जुदाई का दर्द बोलो कैसे सहें हम
कहते हो क्यों तुम कि अपना दिल चीर दिखा दो
मुझको है आरज़ू हर पल तेरे ही मयखाने की
कुछ जाम पी ही लिए कुछ और जाम पिला दो
दर्द तो दे ही चुके हो मोहबत में कितने
अब देखो इन दर्दों की थोड़ी तो दवा दो
मर ही गए तेरे कूचे में तो बदनाम हो जाओगे
चाहे करो कत्ल मेरा फिर मेरी लाश छिपा दो
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