प्रेम डगर

प्रेम डगर मत चलियो सखी री प्रेम गली अति सांकरी !
मत निरखियो वाकी चितचोर मुस्कनिया मत सुनियो बांसुरी !!
मत कीजो प्रेम सखी प्रेम पीर होय बहुत गहरी !
सुधि नहीं लीजो पिया बीत अब गई री दुपहरी !!
साँझ भई जीवन की प्रेम पीर में जले बाँवरी !
अबहुँ ना आए मोहन कब से खड़ी कदम्ब की छाँव री !!
मत कीजो प्रेम सखी देखो प्रेम वारी पीर री !
नित नित दृग बहें नैन सूख गयो नीर री !!

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