काहे पिया ना खोले नैन
काहे पिया ना खोलें नैन
तड़पत हूँ सखी दिन रैन
काहे पिया......
हुई बाँवरी सुनत मुरलिया
छीन गयो मन मेरा छलिया
याद पिया की पल पल आवे
बरस रहे सखी मेरो नैन
काहे पिया.......
जब ते पिया से नेह लगायो
एक पल को सखी चैन ना पायो
दर्द होय मेरो हिय में भारी
तड़प उठे सखी दिन रैन
काहे पिया .......
कैसो मोहक रूप बनायो
निरख निरख मन माँहि समायो
पिया प्यास मेरो अबहुँ ना जायो
तड़पत हूँ भई बेचैन
काहे पिया ..........
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