कौन ग्रन्थ
कौन पढे ग्रन्थ और कौन रटे वेद मैंने !
तेरो नाम पिया मेरो मुख सो निकसत नहीं !!
मन में बोलूं पिया पिया मेरो कान्हा ही !
हाय मेरो जिव्हा तेरा नाम भी बोलत नहीं !!
कैसो नेह लगाया पिया नाम भी न मुख सों लूँ !
बोले सखी बाँवरी क्या मन में बोलत रही !!
कासे कहूँ हाल मेरो बैरी ही पिया जब मेरो !
हाय नाही बोले मोसे कछु भी सुनत नहीं !!
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