पर्दा यूँ उठा रहे
पर्दा यूँ उठा रहे सरकार धीरे धीरे
रुखसार अब दिखा रहे सरकार धीरे धीरे
जिसको तुमने चाहा वो तुमको जान पाया
नज़रों से उसके साहिब पर्दा है फिर उठाया
सोहम् बता रहे हैं सरकार धीरे धीरे
पर्दा यूँ उठा रहे ........
अब तुझमें मुझमें कोई फर्क रहा ना
मुझमें ही तुम मिले हो बाहर कोई दिखा ना
सब फांसले मिटा रहे सरकार धीरे धीरे
पर्दा यूँ उठा रहे.........
तुम मुझको जी रहे हो मेरी मैं अब नहीं है
तेरी कृपा है साहिब जो तुमने नज़र की है
अब उतरते ही जा रहे हो सरकार धीरे धीरे
पर्दा यूँ उठा रहे.........
अब इस कद्र साहिब तुम मुझमें बस रहे हो
ऐसे मिले हो साहिब कुछ ऐसे हस रहे हो
मेरी बेखुदी बढ़ा रहे सरकार धीरे धीरे
पर्दा यूँ उठा रहे.........
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