सखी गयो मटकिया फोर

सखी गयो मटकिया फोर
श्याम सलोना नन्द किशोर
ओ सखी.....

पनिया भरन को लीन्हीं री मटकी
चितचोर मोहन की नज़र रही अटकी
कर गयो रे मोसो बरजोरी
ओ ओ ओ
जैसो हुई आज सखी भोर
सखी गयो......

चल सखी मिल यमुना को जावें
चितचोर से अब नैना चुरावें
संग खड़ी ग्वालों की टोली
ओ ओ ओ
देखो आन मचाए शोर
सखी गयो.......

कैसो ये रंगीला मेरो मोहन
सब सखियों के यही प्राणधन
जितना प्रेम करे सखी इनको
ओ ओ ओ
उतना तंग करे लम्पट निगोर
सखी गयो.......

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